Thursday, June 14, 2012

थिरकते क़दमों में घुंघरुओं की खनखनाहट

थिरकते  क़दमों में घुंघरुओं की खनखनाहट
झूमते हुए उसका संगीत से रूबरू होना 
नाज़ुक कलाहियों में उन चूड़ियों का खनकना
रौशनी की हर किरण पर उसकी बिंदिया का चमकना

वो रंगमंच उसका जहाँ बन गया
बिना किसी शर्त के उसका साथी हो गया
उसका नाच ही उसका दोस्त
उसका नाच ही उसका हमसफ़र

थिरकते  क़दमों में घुंघरुओं की खनखनाहट 
झूमते हुए उसका संगीत से रूबरू होना

No comments:

Post a Comment