खिलने के इंतज़ार में बैठी एक डाली पर
दिन के उजाले के साथ आयी
हरी पत्तियों के बीच
नन्ही कली
तेज़ सूरज की किरणों को तरसती
उस डाली पर अकेली
एक कली
दिन के उजाले के साथ आयी
सूरज की वो मद्धम किरण
छू गई हरी पत्ती को
तो राह बन गई जिसको तरसती थी
कली
हवा का भीना सा एहसास हुआ
सोंधी सी खुशबू महकाती
सोंधी सी खुशबू महकाती
अपनी लाली बिखेरती
अंगड़ाई ले खिलने लगी
कली
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