Tuesday, May 28, 2013

बैठे हुए इस शोर में


बैठे हुए इस शोर  में 
कुछ अकेलापन है । 

मुस्कुराते इन चेहरों में 
आंसुओं को छुपाता मेरा मन है । 

आज फिर लव्ज़ों का 
तूफ़ान सा उमड़ रहा है । 

बहते हुए इन लम्हों में 
मेरा मन 
ज़िंदा मर रहा है !

Sitting in this noise, I am alone
Smiling face all around me as I hide my tears
Words inside me are stirring up a storm
My heart dies as the time ticks away!

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