Saturday, June 28, 2014

बस जीवन है।

ना दिन है मेरा, न रात हुई अपनी।
बस जीवन है।

ना शोर है कहीं, ना ख़ामोशी ही रही।
बस जीवन है।

ना पास है कोई, ना दूरियां रही।
बस जीवन है।

ना हाथों में कुछ है, ना खाली हथेलियाँ।
बस जीवन है।

ना कहीं जाने की चाह, ना कहीं थम्मे ये कदम।
बस जीवन है।

ना भीगी ये धरती, ना रुकि ये बारिश।
बस जीवन है।

ना किसीको को पाने की चाह, ना किसीको खोने का डर।
बस जीवन है।

ना इसके होने की ख़ुशी, न इसके बिछड़ने का गम।
बस जीवन है।

बेजान, शांत, रुका हुआ सा, आगे बढ़ता, बस जीवन है।

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