बरसती है आँखों से
बूँदें बनकर हर चाह
झुलसती है
तपती रेत पर बिखरकर
ज़िन्दगी की हर राह
खिसकते हुए कदम बढ़ रहे हैं
जाने किस ओर
ना है मंज़िल का पता
ना ही राह की होश
बरसती आँखों से ज़िन्दगी जी रहे हैं
रौन्धते हुए अपने ही दिल को
झुलसती रेत पर
ना जाने किस मंज़िल की ओर
बूँदें बनकर हर चाह
झुलसती है
तपती रेत पर बिखरकर
ज़िन्दगी की हर राह
खिसकते हुए कदम बढ़ रहे हैं
जाने किस ओर
ना है मंज़िल का पता
ना ही राह की होश
बरसती आँखों से ज़िन्दगी जी रहे हैं
रौन्धते हुए अपने ही दिल को
झुलसती रेत पर
ना जाने किस मंज़िल की ओर
behtareen lines ...
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